गूंजी सी है सारी फ़िज़ा जैसी बजती हो शहनाइयाँ
लहराती है महकी हवा गुनगुनाती है तन्हाइयाँ
सब गाते हैं सब ही मदहोश है
हम तुम क्यों ख़ामोश हैं
साज़-ए-दिल छेड़ो ना
चुप हो क्यों गाओ ना
आओ ना
तन मन में क्यों ऐसी बहती हुई ठंडी सी एक आग है
सांसों में है कैसी ये रागिनी धड़कन में क्या राग है
ये हुआ क्या हमें हमको समझाओ ना
सब गाते हैं सब ही मदहोश है
हम तुम क्यों ख़ामोश हैं
दिल में जो बात है होठों पे लाओ ना
आओ ना
अब कोई दूरी ना उलझन कोई बस एक इक़रार है
अब ना कहीं हम ना तुम हो कहीं बस प्यार ही प्यार है
सुन सको धड़कनें इतने पास आओ ना