• Geeta Dutt

    मेरी जान मुझे जान न कहो

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मेरी जान, मुझे जान न कहो
 
मेरी जान, मुझे जान न कहो, मेरी जान, मेरी जान
मुझे जान न कहो मेरी जान, मेरी जान, मेरी जान
 
जान न कहो अन्जान मुझे, जान कहाँ रहती है सदा
अन्जाने क्या जाने, जान के जाए कौन भला
मेरी जान, मुझे जान न कहो, मेरी जान, मेरी जान
 
सूखे सावन बरस गए, इतनी बार इन आँखों से
दो बूँदें न बरसें, इन भीगी पलकों से
मेरी जान, मुझे जान न कहो, मेरी जान, मेरी जान
 
होंठ झुके जब होंठों पर, साँस उलझी हो साँसों में
दो जुड़वा होठों की बात कहो आँखों से
मेरी जान, मुझे जान न कहो, मेरी जान, मेरी जान
मुझे जान न कहो मेरी जान, मेरी जान, मेरी जान
 

 

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