ਮੇਰਾ ਮਨ ਲੋਚੈ
Alexander Listengort on 2018-05-31
Skribblमेरा मनु लोचै
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Ramesh Mehta on 2018-08-11यह प्यारा शब्द सिख धर्म के पांचवे गुरु श्री गुरु अर्जन देव साहिब जी का है। वे शिरोमणि, सर्वधर्म समभाव के प्रखर पैरोकार होने के साथ-साथ मानवीय आदर्शों को कायम रखने के लिए आत्म बलिदान करने वाले एक महान आत्मा थे.
गुरु जी की मानव जाति को सबसे बड़ी देन है श्री गुरुग्रंथ साहिब का संपादन। गुरुजी ने स्वयं की उच्चारित 30 रागों में 2,218 शबदों को भी श्री गुरुग्रंथ साहिब में दर्ज किया है।
जाने अनजाने हम परमात्मा को तलाशते हैं , हर इन्सान ख़ुशी ढूंढ़ रहा है ख़ुशी मिलती है तो उसके न रहने पर वह गम में बदल जाती है। ख़ुशी को पाने के वह नए नए तरीके इस्तेमाल करता है पर फिर भी खुशी नहीं टिकती। भगवान को याद करता है। संतो के प्रवचन सुनता है। तीर्थ करने जाता है। लेकिन कुछ खास नहीं होता। स्वर्ग और नर्क की कहानियों में दिलचस्पी दिखाता है। विकारों में में भी पड़ता है। कुछ विशेष परिवर्तन नहीं घटता। वह ईश्वर को मानता है लेकिन स्वीकार नहीं करता। उसकी जिज्ञासा व व्याकुलता चरम पर नहीं पहुंचती। वह ईश्वर को खोजता ज़रूर है पर उसकी खोज इतनी प्रबल नहीं। उसकी खोज में सच्चाई नहीं।
हर इंसान के अंदर झूठ और सच का ज्ञान होता है।जब वह पाखंड से दूर रहता है और सच्चाई के खिलाफ कोई समझौता नहीं करता तो उसे सच्चाई के रास्ते पर चलने में ही आनंद आता है। उसका ध्यान सच्चाई पर ही केन्द्रित रहता है और कभी डांवांडोल नहीं होता और सच्चाई के बिना तड़पता है और फिर उसका अहम् मर जाता है और वह सचिआरा हो जाता है
ऐसा कहा जाता कि चात्रिक पक्षी अपनी प्यास केवल स्वाति नक्षत्र से गिरने वाली बूंदों से ही बूझाता है. वह मर जाएगा मगर किसी और पानी से अपनी प्यास नहीं मिटाता। अगर हम भी चात्रिक पक्षी की तरह अपनी प्यास भगवान के दर्शन के आलावा अन्य किसी से नहीं बुझाएंगे तो ही प्रभु में हम जी पाएंगे


The original language is GURMUKHI
Mere Man Loche, also known as the Shabad Hazaaray, is a prayer of longing for the Beloved. It was written by Guru Arjan, the fifth Sikh Guru, when he was separated from Guru Ram Das, his father for a duration of time. During that period of separation he sent these three letters to his beloved Guru and father expressing his longing for the "blessed vision of the Guru". Reciting this prayer brings union with your beloved; it expresses in deep terms the true sense, the hurt of separation; the pain endured by the heart when the thought remains focused just on union and nothing else holds any meaning; when everything else loses any interest or meaning. It is an ultimate expression of love and longing for the Divine Beloved.